भारत माता
मैं तलवार हु उस मयार की,
जो महाराजाओं के महलो मे रहती है //
मैं लफ्ज हु उन कवियों की,
जो उनकी कविताओं मे बहती है //
मैं बखान हु उन किताबों की,
जो ग्रंथो मे लिखी होती है //
मैं वो मीठी बोली हु,
जो हिर्दय रुपी सागर मे बहती है //
मैं खुसबू हु उस मिट्टी की,
जो भारत भूमि मे मिलती है //
मैं गर्म रक्त हु, उन वीर जवानो की,
जो युद्ध की रणभूमि मे मिलती है //
मैं पसीना हु, उन किसानो की,
जो खेतो मे परिश्रम करने पर निकलती है //
मैं आवाज हु, उन नवजात बच्चियों की,
जो बचपन मे कोख मे ही, मार दी जाती है //
मैं ज्ञान की देवी हु, जो ऋषि-मुनियो के लबो मे होती है,
मैं ही वो भारत माता हु, जो सकल विश्व मे पूजी जाती है //
मैं ही वो भारत माता हु, जो सकल विश्व मे पूजी जाती है //
~:कविराज श्रेयस सारीवान