भारत देश पधारो(कविता)
भारत देश पधारो(कविता)
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दूर कहीं पर किसी देश में कभी न जाड़ा आता
वहाँ वर्ष-भर गरमी का ही मौसम पाया जाता
हमने उनसे कहा कभी तुम भारत देश पधारो
यहाँ जनवरी में जाड़े की सुन्दर छटा निहारो
वह सज्जन जब आए गद्गद होकर हमसे बोले
खुली सड़क पर कहाँ लगे हैं ए. सी. बहुत टटोले
कैसे ठंडक आसमान से यहाँ बरसती आती
कैसे चादर धुंध-कोहरे की मौसम में छाती
हमने कहा करामाती है भारत देश हमारा
सिर्फ यहाँ पर छह ऋतुओं का दृश्य दीखता प्यारा
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451