***भारत देश अनूठा,अनुपम***
नव चिन्तन, नव मनन किया जब, यह विचार अंकुरित हुआ,
अपना भारत देश अनूठा,अनुपम, जिसकी परम पावन वसुंधरा।
इस भूमि पर जन्म मिलेगा कब, देव सदैव ही ताके रहते,
कैसे पुण्य कर्म कर डालें, जिससे मिल पाए आश्रय प्यारा॥1॥
पृष्ठभूमि अध्यात्म की, दैवीय गुण से सम्पन्न तो है ही इसकी,
अविरल बहती पावन गंगा कल-2 ध्वनि संग,उपजाती धैर्य नया,
देती शिक्षा धीरज रख लो,दृष्टि जमाओ,मिल जाएगा लक्ष्य तुम्हारा,
ऊर्जित होकर, कदम बढ़ाओ धीरे-2, सबकुछ होगा न्यारा-न्यारा॥2॥
इतिहास पुराना इस वीरधरा का, वीर पुरुष की खान कहाती,
ली परीक्षा नृप शिवि की जब देवों ने,त्याग,वीरभाव भी सिखलाती,
दानवीरता की शिक्षा,सूतपुत्र कर्ण का जीवन, देता अद्भुत,
कायल किया शत्रुपक्ष को,दान से, कर उपयोग आयुध सारा ॥3॥
त्याग और आदर्श का शिक्षा, सिखलाता पुरुषोत्तम राम का जीवन,
त्याग-त्याग रे त्याग रे मूरख,पापों को, बुद्ध का जीवन सिखलाता,
इंद्रिय को करो नियंत्रण, बनो, जितेंद्रिय, कहे महावीर का जीवन,
कृष्ण कहे तू छोड़ रे तृष्णा,गाता रह भगवद गीता की गाथा ॥4॥
###अभिषेक पाराशर###