Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2021 · 1 min read

भारत खोज

जैन को देखा तो चैन आया ।
बौद्ध को देखा तो मौन आया ।
चार्वाक को देखा तो धन, काम आया।
वेदांत को देखा तो भारत नाम आया । _ डॉ. सीमा कुमारी ,
नोट :_ कविता लिखना मुझे खुशी देती है । मेरी जरूरत है, मेरे भावों की अभिव्यक्ति मात्र नही , मेरे संपूर्ण व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति हैं । मेरी सारी रचना स्वरचित है । अन्यथा वहाँ मैं साइन नहीं करती अपनी .जिसकी ; जिसके द्वारा लिए गए वो लिखती हूँ। ये अहंकार मत समझिए गा कृपया ।

Language: Hindi
348 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कभी कभी
कभी कभी
Shweta Soni
रूह की अभिलाषा🙏
रूह की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
Neelam Sharma
सृजन
सृजन
Rekha Drolia
प्रात काल की शुद्ध हवा
प्रात काल की शुद्ध हवा
लक्ष्मी सिंह
¡¡¡●टीस●¡¡¡
¡¡¡●टीस●¡¡¡
Dr Manju Saini
गीत..
गीत..
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
उत्तर
उत्तर
Dr.Priya Soni Khare
" मिलकर एक बनें "
Pushpraj Anant
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
जिया ना जाए तेरे बिन
जिया ना जाए तेरे बिन
Basant Bhagawan Roy
श्रृंगार
श्रृंगार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जी हां मजदूर हूं
जी हां मजदूर हूं
Anamika Tiwari 'annpurna '
* तुम न मिलती *
* तुम न मिलती *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
युवा
युवा
Akshay patel
सादगी
सादगी
राजेंद्र तिवारी
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
नाचणिया स नाच रया, नचावै नटवर नाथ ।
नाचणिया स नाच रया, नचावै नटवर नाथ ।
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
साथी है अब वेदना,
साथी है अब वेदना,
sushil sarna
"जरा सोचिए"
Dr. Kishan tandon kranti
तन्हाई
तन्हाई
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
राधा अब्बो से हां कर दअ...
राधा अब्बो से हां कर दअ...
Shekhar Chandra Mitra
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
Manoj Mahato
भ्रम
भ्रम
Kanchan Khanna
निदामत का एक आँसू ......
निदामत का एक आँसू ......
shabina. Naaz
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
प्रकृति पर कविता
प्रकृति पर कविता
कवि अनिल कुमार पँचोली
★ शुभ-वंदन ★
★ शुभ-वंदन ★
*प्रणय प्रभात*
कूच-ए-इश्क़ से निकाला गया वो परवाना,
कूच-ए-इश्क़ से निकाला गया वो परवाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...