भारत का युवा (एक कल्पना)
शरीर हो कसा हुआ, वाणी में वो जोश हो।
दहाड़ दे जमीन पर, तो शत्रु भी बेहोश हो।।
होश हो उस युवा में, न किसी का शोक हो।
मर मिटे वो देश पर, वो वीर हो, अशोक हो।।
करुणा की धार हो, वो ममता की बौछार हो।
देख ले जो वो पलट कर, शेर का शिकार हो।।
आंखों में वो ज्वाला हो, चहुँ ओर उजाला हो।
आर्यावर्त के युवा के, गले मे जीत माला हो।।
योगियो में ध्यान ही वो , ज्ञानियो में ज्ञान हो।
खुद पे न अभिमान हो, सोच में ही कल्याण हो।।
प्रेमी हो वो प्रेम का, न लोभ , न गुमान हो।
शाहीयो की शान हो वो, युगपुरुष महान हो।।