भारत का कण–कण
कहां गए वो अभिमान हमारे
कहां विलुप्त हो गए हैं घर ।।
जिनकी कथाओं से गर्वित
होता था भारत का कण–कण ।।1।।
यहां सीता की कथाओं ने
यहां मीरा की गाथाओं ने
जहां पद्मावती कर गए जौहर ।।
जिनकी कथाओं से गर्वित
होता था भारत का कण–कण ।।2।।
चंद विकारों की महिमा ने
पश्चिम के उन रखवालों ने
भारत धरती कर दी दूषित ।।
फिर से कोई लौटा दो मुझको
मेरे भारत का वो कण–कण ।।3।।
भारत के वो प्रतिबिंब थे
सभ्य संस्कृति को जन्मे थे
कहां खो गया वो भारत ।।
जिनकी कथाओं से गर्वित
होता था भारत का कण कण ।।4।।