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18 Jan 2017 · 1 min read

भारत का एक गाँव …

भारत का एक गाँव …

गाँव की सड़क-किनारे
कढ़वे-मीठे अनुभवों के झरोखों से
छिप बिस्मृती के अंधकार में
यादो के झुरमुट से
कोई पत्ता,उड़ते हुवे आया;
उस पर कुछ धुल जमी थी,
याद करता :–

गाँव की सुबह-शाम
सारे घर-आँगन का बुहारन
अँजुलि-अँजुलि जल डालकर
पोषित करती घर-द्वार
गोबर का प्रलेप
धूल और मिटटी मे
पशुओं के चारे
सब्जियों के छिलके
बीज और अनाजों के दाने
तुलसी की पूजा-आरती
घुमे नज़र मे दिन पुराने,
पोथियों के फटे पन्ने
उठ आये लतर-चतर पसरे
गँवई किसान मस्तीवाले,
अलबत्ता, मौज़-उनके लिये
सिर्फ़ थकी-हारी काया से
जब आ जाते हैं
जवानी के सुरूर में
ढलते-गलते तन से !…..?
यी फिर निकल जाते हैं
खेत की दिशा में
अपनी औरत के साथ
ये ही हैं छिपे हैं इन्हीं में
जीवन के रहस्य,
सरल भाव से
लेकिन पढ़े-लिखे शहरी
फिर क्यों निखरने आये
चिरसंचित निधि
परम गोपनीय हरियाली की
ख़ुशबू भरे खेत-खलिहान ,
माठी की सोंधी सुगंध
हंसते खेलते
गुनगुनाते बचपन
लज्जित चकित यौवन
थका हारा बड़पन

मत छेड़ो यार,
वेदना में जीवित
खुशहाल जीवन
उपजाते जो अन्न
हर एक कण
सहज नहीं पाते
भूख के साधन
मृतवत जी कर भी है जो मगन
भारत का जंहा बसे स्पंदन ………………..

सजन

Language: Hindi
369 Views

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