भारत : एक सांझा घर
जब पहले न निकला देश से बाहर ,
तो अब क्या निकलोगे ?
उनका भी है यह भारत घर ,
उनको उनके घर से कैसे निकलोगे ?
जिसके साथ अब तक दुख सुख बांटे ,
तहजीब बांटी , संस्कृति बांटी ,
उसके लिए क्या फिर से देश को ,
तुम बांटोगे ?
बस करो ! बंद करो यह नफरत का खेल ,
तुम नेताओं की कठपुतली मत बनो ।
बल्कि मिलजुलकर रहो प्यार से , सौहाद्र से,
तभी तो तुम अपने सांझे दुश्मन को सबक सिखाओंगे
इस देश की नींव सर्वधर्म समभाव पर स्थित है।
धर्मनिरपेक्षता इसकी आत्मा है ।
कृपया करके इसकी नींव मत हिलाओ ,
इसकी आत्मा को न सताओ ।
टूटते बिखरते अपने घर को फिर से संभालो ,
वरना मरने के बाद खुदा /ईश्वर को क्या मुंह दिखाओगे?