#भाजपा_के_भीष्म
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■ “आडवाणी” : आज़ाद भारत के दूसरे “पटेल।”
★ जीवेत शरदः शतम।
आधुनिक भारत की नई महाभारत के एक और पितामह। राजनैतिक निष्ठावानों के लिए एक जीवंत उदाहरण। रिटायर-हर्ट होकर सियासी पैवेलियन में विराजित नाबाद प्लेयर। अब देश के मैदान, जीवन की पिच और उम्र की क्रीज़ पर शतक की ओर अग्रसर। देश के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण “भारत-रत्न” के साथ। जो देर से ही सही, दे दिया सियासत ने। आगा-पीछा, नफ़ा-नुकसान भांप कर। वो भी जीते-जी, मृत-पूजकों के देश में।
आज सुर्खियों से परे संघर्ष का एक छला गया किरदार। आयु के शतक में बस 03 ही रन रहे हैं आज कम। जीवन की पिच पर जमे रहें आपके क़दम। यही हैं हमारी व उन सबकी हार्दिक मंगलकामनाएं, जो साक्षी हैं आपकी अग्रणी भूमिका और कीर्तिमय संघर्ष के।
97वीं सालगिरह पर दिल से सलाम स्वाधीन भारत के दूसरे सरदार (पटेल) जिनके साथ कुत्सित राजनीति ने खेला कपट का खेल। ऐसे में बनता ही है एक सवाल- “अंधियारे में किसने और क्यों डाला…एक उजाला…??”
बहरहाल, हाल-फ़िलहाल एक ही नारा, तुम्हारा-हमारा। भारत-रत्न आडवाणी जी ज़िंदाबाद। ज़िंदाबाद, ज़िंदाबाद। दल-वल नहीं, केवल दिल की भावना से।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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#आत्मकथ्य-
(किसी दल से मेरा कोई सरोकार नहीं। मैं “समय” हूँ)