भाग्य
बनाया है उसी ने ये सारा जहां
कौन क्या दे सकता है किसी को यहां
देता है वो सभी को कुछ न कुछ
उसे ही हम भाग्य कहते है आज यहां।।
है सब भाग्य का ही खेल यहां
जबआता है वक्त बुरा तो
तीनों लोकों का विजेता
एक महा ज्ञानी ब्राह्मण भी
इंद्रियों को नियंत्रित नहीं रख पाता।।
हर लेता है पर नारी को फिर वो
बनता है उसके विनाश का कारण जो
है बस मोहरा हम, कोई ताकतवर नहीं
है सब लीला उसी की बैठा है बैकुंठ में जो