भाग्य भरोसे कुछ नहीं होगा
भाग्य भरोसे कुछ नहीं होगा,
कर्म की लत लगानी है।
हारे मन से कुछ नहीं होगा,
जीत की शर्त लगानी है।
किनारें बैठे कुछ नहीं होगा,
उफ़ानों में छलांग लगानी है।
आसमां देखें कुछ नहीं होगा,
तूफानों में पतंग उड़ानी है।
चुप्पी साधे कुछ नहीं होगा,
अब ईंट से ईंट बजानी है।
© दीपक बहुगुणा
02.06.2021