भाग्य पर अपने
अभावों में देखों खो रहा बचपन ।
स्वयं को स्वयं ही ढो रहा बचपन ।।
राष्ट्र की अनमोल जो धरोहर है।
भाग्य पर अपने रो रहा बचपन ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
अभावों में देखों खो रहा बचपन ।
स्वयं को स्वयं ही ढो रहा बचपन ।।
राष्ट्र की अनमोल जो धरोहर है।
भाग्य पर अपने रो रहा बचपन ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद