भागते लोग
संदेश किसका है अब
कुर्बान एक हो जाए
बेटी मां की हिफाजत को
बेटी का बाप, पत्नी का पति
यूक्रेन में
दफन हो जाए
यह को विछोह है बच्ची
का अपने पापा से
पत्नी का अपने पति से
शायद ना कभी मिलने के
लिए
ये त्रासदी न हो जाए
किस बड़े मकसद को
अंजाम देने को ये सब
जरूरी है
किस तरह मिल रही
इंसान को खत्म करने
की मंजूरी
क्या ये खेल खत्म न
किया जाए
कोई और विकल्प बचता
नहीं इस नरसंहारी युद्ध में
जो न जानता एक दूसरे को
वह जुट जाए एक दूसरे के
विध्वंश में
न इधर के लड़ाके ने बिगाड़ा
कुछ उधर के लड़ाके का,
पर जरूरी है
एक दूसरे की खूं का प्यासा
हो जाए
जो लेता फैसला की युद्ध होगा
यह सुनश्चित है कि
न कैसे भी
उसका बाल बांका
कहीं हो जाए
इधर से भागता ,अपने वतन से
उस वतन
सीमा के उस पार करके
, कड़कती ठंड
भूख बनती मौत का सबब
क्या दिमाग के कोश में
कोई छूट गए अपने का
कुछ स्मरण रहता है
या खुद को कैसे बचाएं
इसका संक्रमण रहता है
भरे भंडार कपड़ों के
कितने फल पड़े थे ,
तश्तरी, मेज, किचन के
फ्रिजों में
छोड़ आए हैं
अब पड़े कपड़े हैं
बिछे पंडालों में
इस नए देश के सीमा
पर बने शरणस्थल में
ढूंढता है
डा राजीव जैन “सागर”
सागर, म. प्र.