भाई
चेहरा तो याद नहीं मुझे याद हैं तेरे पाँव
गुलाब के पंखुड़ियों जितने छोटे, मुलायम पाँव
तेरे आने से क्या मिला मालूम न था
उस चार-पांच साल के बड़े भाई को।
मन खुशियों से इतना भाव विभोर हुआ,
समझ न आया करे क्या, चूम लिए तेरे पाँव।
– अटल©
चेहरा तो याद नहीं मुझे याद हैं तेरे पाँव
गुलाब के पंखुड़ियों जितने छोटे, मुलायम पाँव
तेरे आने से क्या मिला मालूम न था
उस चार-पांच साल के बड़े भाई को।
मन खुशियों से इतना भाव विभोर हुआ,
समझ न आया करे क्या, चूम लिए तेरे पाँव।
– अटल©