Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2022 · 1 min read

भाई

चेहरा तो याद नहीं मुझे याद हैं तेरे पाँव
गुलाब के पंखुड़ियों जितने छोटे, मुलायम पाँव
तेरे आने से क्या मिला मालूम न था
उस चार-पांच साल के बड़े भाई को।
मन खुशियों से इतना भाव विभोर हुआ,
समझ न आया करे क्या, चूम लिए तेरे पाँव।
– अटल©

Language: Hindi
3 Likes · 273 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
सत्य कुमार प्रेमी
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
आज़ यूं जो तुम इतने इतरा रहे हो...
आज़ यूं जो तुम इतने इतरा रहे हो...
Keshav kishor Kumar
...,,,,
...,,,,
शेखर सिंह
2933.*पूर्णिका*
2933.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम का कोई उद्देश्य नहीं प्रेम स्वयं एक उद्देश्य है।
प्रेम का कोई उद्देश्य नहीं प्रेम स्वयं एक उद्देश्य है।
Ravikesh Jha
समाज और सोच
समाज और सोच
Adha Deshwal
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
14, मायका
14, मायका
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
Manisha Manjari
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
Khaimsingh Saini
खामोशी ने मार दिया।
खामोशी ने मार दिया।
Anil chobisa
मुझे प्यार हुआ था
मुझे प्यार हुआ था
Nishant Kumar Mishra
जाति आज भी जिंदा है...
जाति आज भी जिंदा है...
आर एस आघात
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय प्रभात*
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
समय अपवाद से नहीं ✨️ यथार्थ से चलता है
समय अपवाद से नहीं ✨️ यथार्थ से चलता है
©️ दामिनी नारायण सिंह
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
Neelofar Khan
अजनबी !!!
अजनबी !!!
Shaily
जी रही हूँ
जी रही हूँ
Pratibha Pandey
"हालात"
Dr. Kishan tandon kranti
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
Sonam Puneet Dubey
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
रंगों में भी
रंगों में भी
हिमांशु Kulshrestha
प्रेरक प्रसंग
प्रेरक प्रसंग
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
Seema gupta,Alwar
दोस्त, दोस्त तब तक रहता है
दोस्त, दोस्त तब तक रहता है
Ajit Kumar "Karn"
भारतीय रेल (Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
भारतीय रेल (Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
Vijay kumar Pandey
Loading...