भाई दूज
भाईदूज के पर्व पर बहन ने,भाई के माथे पर चंदन का तिलक लगाया।
तिलक लगा कर ले ली बलाएँ,और भाई को उसका वादा याद दिलाया।
बोली भैया हर सुख दुःख में मैंने,ख़ुद संग तुमको हमेशा खड़ा है पाया।
कैसे निकल गया एक साल यह,और फिर से भाई दूज का पर्व है आया।।
भाई ने अपनी बहन के सर पर देखो,बड़े प्यार से अपना हाथ फिराया।
बोला मेरी प्यारी बहना सुन ले,तेरे प्यार ने ही तो मुझको इस लायक़ बनाया।
तुम बहनों और मात पिता ने ही तो, मेरे जीवन को सफल मुक़ाम पर पहुँचाया।।
भाईदूज के इस त्योहार ने जगमें,भाईबहन के रिश्ते को देखो मज़बूत बनाया।
भाई बहनों ने मिलकर एक दूजे को,प्यार दिया और भरपूर प्यार वापस भी पाया।।
कहे विजय बिज़नौरी ये भाई दूज का,पर्व जगत में है देखो भैया सबसे प्यारा।
अदभुत रिश्ता है ये भाई बहन का, संसार को भाई दूज का पर्व बताता है मेरे यारा।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिज़नौरी।