भाईदूज
गीत – भाईदूज की पावन पर्व
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देख प्रेम की जिस धारा को,
हर्षित आज विधाता है।
दीदी का भाई से जग में,
पुण्य परम जो नाता है।
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पावन भाई दूज दिवस पर,
जब दीदी घर जाते हैं।
प्रेम समाहित अनुपम खुशियाँ,
आँचल भर-भर पाते हैं।
तब स्वागत करती है दीदी,
मधुरिम मीठी बोली से।
थाल सजाती है आरत की,
चंदन कुमकुम रोली से।
उस बेला में हो विभोर,
नैना भी जल बरसाता हैं।
दीदी का भाई से जग में,
पुण्य परम जो नाता है।
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शकुंतला के संग अंजना,
फर्ज निभाकर माई की।
भर देते है प्रेम हृदय में,
अपने प्यारे भाई की।
आशीर्वाद सदा देती है,
दीदी हमको तन-मन से।
रहें सलामत भाई कहकर,
नित विनती कर भगवन से।
भाई भी निज प्राण समर्पित,
दीदी पर कर जाता है।
दीदी का भाई से जग में,
पुण्य परम जो नाता है।
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स्वरचित©®
डिजेन्द्र कुर्रे,”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)