भस्म
बजे जब भी यहाॅं डमरू,जगत के नाथ आते हैं।
ब बं बं नाद हैं करते,डमड्डम डम बजाते हैं।
जलाकर भस्म करते हैं,अहम का नाश हैं करते-
रगड़कर भाॅंग धतुरा को, वहीं धूनी रमाते हैं।
डी एन झा दीपक ©
बजे जब भी यहाॅं डमरू,जगत के नाथ आते हैं।
ब बं बं नाद हैं करते,डमड्डम डम बजाते हैं।
जलाकर भस्म करते हैं,अहम का नाश हैं करते-
रगड़कर भाॅंग धतुरा को, वहीं धूनी रमाते हैं।
डी एन झा दीपक ©