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24 Jul 2022 · 1 min read

भस्मासुर का वर

चौपाई

भस्मासुर कीन्हा तप भारी ।
हो प्रसन्न बोले त्रिपुरारी ।।
जो चाहो वर माँगो आजू।
पूर्ण करों तुम मन के काजू।।

जेही ऊप र रख दूँ हाथा।
भस्म होय अगनी के साथा।।
एवमस्तु जब कहा महेशा।
वर पाकर लौटा निज देशा।।

करता फिरता खूब बड़ाई ।
शुक्र कहा परखो वर जाई।।
बुद्धि भ्रमित पहुँचा शिव पासा।
गिरिजा छीनि करहुँ शिव नासा।।

वर देकर शंकर पछताने।
शिवा सहित छिपते अनजाने ।।
शंकर दशा देख भगवाना।
रूप मोहिनी धरि हरि आना।।

हुआ असुर मोहित नारी पर।
नृत्य सिखाते हरि उस निश्चर ।।
ज्यों ज्यों नृत्य करहि भगवाना।।
त्यो त्यो करता भर अभिमाना।।

प्रभु निज हाथ रखा सिर ऊपर।
नकल कीन्ह राक्षस ने सत्वर ।।
रखत हाथ भा भस्मीभूता।
सफल हुआ वर शिव अबधूता।।

राजेश कौरव सुमित्र

Language: Hindi
1 Like · 199 Views
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