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15 Jun 2023 · 1 min read

भवभयहारिणी

श्वेतवसन शुचिधारिणी,पावन सत्त्वस्वरूप।
भवभयहारिणि अम्बिका, अतुल प्रदीप्त अनूप।।

अक्ष कमण्डल धारिणी,निर्मल मानस भाव।
तपःतेज ब्रह्माण्ड में,तीनों लोक प्रभाव।।

विश्वनाथ की कामना, उमा अपर्णा नाम।
जगदम्बा भवव्यापिनी, शुभमय पूरणकाम।।

महिमा वेद बखानते,सकल चराचर व्याप्त।
तपस्विनी जगदम्बिका, महादेव को प्राप्त।।

ब्रह्मचारिणी रूप में, गृह-गृह पूजन जाप।
अन्तस् का आसन गहें,माता रानी आप।

सत्त्वगुणी सत् धात्री, मानस करें प्रबुद्ध।
ज्ञानमयी जगपूजिता, अमल करें मन शुद्ध।।

पाप ताप दुखहारिणी,करें तापत्रय नाश।
महिमा अमिट अपार है,माता पर विश्वास।।

डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी

Language: Hindi
105 Views
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