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5 Jul 2019 · 1 min read

भले थोड़ा हम मुस्कुराने लगेंगे

भले थोड़ा हम मुस्कुराने लगेंगे
भुलाने में तुमको जमाने लगेंगे लगेंगे

सजाये हैं सपने जो आंखों में हमने
वही नींद इक दिन उड़ाने लगेंगे

लगी झूठ की लंबी लंबी कतारें
हो मजबूर सच मुँह छुपाने लगेंगे

टिकेगा भी कैसे ये रिश्ता हमारा
भरोसे ही जब डगमगाने लगेंगे

पकड़ जाएगा झूठ जब जब भी उनका
वो अपनी ही बातें घुमाने लगेंगे

अगर ‘अर्चना’ हम करेंगे शिकायत
वो अहसान अपने गिनाने लगेंगे

03-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

252 Views
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