भले आप को हम, न जाने बहुत
भले आप को हम, न जाने बहुत
मगर आप की बात, माने बहुत
भले आप ने मुड़ के, देखा नहीं
मगर चाह पाने की, ठाने बहुत
मुझे लूट लोगे, अदाएँ दिखा
मगर यूँ न थे आप, दाने बहुत
कई कोशिशें कीं, लगे तीर अब
गए वार ख़ाली, निशाने बहुत
‘महावीर’ ग़ज़लें भी, काफ़ी कही
हुनर को कभी तुम न, जाने बहुत