भला कौन है खुश ?
भला कौन है खुश ?
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उसे भी है दु:ख ,
मुझे भी है दु:ख ,
उभय पक्ष है दुखी ,
भला कौन है खुश ??
दो पक्षों के बीच
कलह फसाद में ,
किसी भी तरह के
कलुषित विषाद में ,
तू-तू-मैं-मैं हो जाती !
बात आगे बढ़ जाती !
किसी भी तरीके से…
किसी की मध्यस्थता से….
उसपे लग पाता लगाम !
दोनों ही पक्ष होता बदनाम !
दोनों ही पक्षों को ,
एक दूसरे के ख़िलाफ़
खूब नाराजगी होती !
हर पक्ष कहता कि
केवल वो ही सही है ,
और दूसरा पक्ष तो
बिल्कुल ही ग़लत है !
पर वास्तविकता में
कौन सा पक्ष सही है ,
और कौन सा ग़लत ?
कौन करेगा फैसला इसका ?
निकलेगा कौन सा तरीका !
जिससे निकल सकेगा ,
इस विकट समस्या का हल !!
कहीं ऐसा तो नहीं कि….
दोष हो दोनों ही पक्षों का !
पर किसे अहसास होता
अपनी कोई गलती का !
हर किसी को यही लगता….
कि वो तो बड़ा साधु है ,
और गलती किसी दूसरे का !
उभय पक्ष पूर्ण आश्वस्त होता
सदैव खुद की बेगुनाही का !
और कभी – कभार किसी
घटना के घटित हो जाने पर ,
हर पक्ष ही अत्यंत दुखी होता !!
अब यक्ष प्रश्न यह उठता है कि ,
जब हर पक्ष ही दुखी हो जहाॅं….
तो फिर खुशियाॅं चली गई कहाॅं ?
उसे भी है दु:ख , मुझे भी है दु:ख !!
उभय पक्ष है दुखी,भला कौन है खुश??
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 11 नवंबर, 2021.
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