भर लो मूझको तेरी बाहों में
भर लो मुझको तेरी बाहों में
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किस बात पर रूठी रहती हो
कोशिश करो मुझे बताने की
जी जान लगा तुम्हें मना लेंगे
तरकीब बताइए मनाने की
बेरूखी सी क्यों ही रहती हो
खुद में खोई खोई रहती हो
मन में जो हो जरा बता देना
यत्न करेंगे बात निभाने की
चेहरे पर उदासी ठीक नहीं
बिना बातों लड़ाई ठीक नहीं
सुन्दर मुख पे रौनक आने दो
लौ जगने दो जरा तराने की
नैनों से नैनों को कहती हो
तुम कैसी बातों से डरती हो
दुखसुख में हैं तेरे साथ खड़े
ला देंगे खुशी हम जमाने की
मय सा नशा तेरी जवानी में
आ जाओ मेरी जिंदगानी में
मौत से सदा टकरा जाएंगे
इज्ज़त बनो मेरे घराने की
सुखविन्द्र खड़ा तेरी राहो मे
भर लो मुझको तेरी बाहों में
भवसागर में गोते खाएंगे
रौनक ला देंगे मयखाने की
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)