भर मुझको भुजपाश में, भुला गई हर राह ।
भर मुझको भुजपाश में, भुला गई हर राह ।
जो डूबा दृग सिंधु में, मिली न उसको थाह ।।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०
भर मुझको भुजपाश में, भुला गई हर राह ।
जो डूबा दृग सिंधु में, मिली न उसको थाह ।।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०