” भरोसा “
दोनों में
इतना विश्वास तो
विश्वास ज़रूरी
कि
बिना बोले
बिना देखे
सब दे
सुनाई और दिखाई ,
जिससे अंधेरे में
चीखे़ बिना
और
बिना बजाए ताली
डर से
बढ़ा हुआ हाथ
ना रहे खाली ।।।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 14 – 08 – 1995 )
दोनों में
इतना विश्वास तो
विश्वास ज़रूरी
कि
बिना बोले
बिना देखे
सब दे
सुनाई और दिखाई ,
जिससे अंधेरे में
चीखे़ बिना
और
बिना बजाए ताली
डर से
बढ़ा हुआ हाथ
ना रहे खाली ।।।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 14 – 08 – 1995 )