-भरोसा खुद पर
-भरोसा खुद पर
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किसी के तंज पर रंज नहीं करती,
खुद पर भरोसा कर आगे मैं बढ़ती,
सुन कमियां अपनी सुधारने का प्रयास करती,
दूसरों के सम्मुख अपने आपको बेहतर प्रस्तुत करती,
हाथ पर हाथ रखे नहीं रखती,
स्त्री हूं तो क्या हुआ?
मै बेवजह किसी से नहीं डरती,
हौसले बुलंद कर जीवन में मैं
मंजिल की राह को निकलती,
निडरता, आत्मविश्वास का चोला पहन सतर्कता से हर कदम रखती।
किसी के तंज़ पर रंज नहीं करती,
खुद पर भरोसा कर आगे मैं बढ़ती।।
_सीमा गुप्ता(अलवर)राजस्थान