भयावह है बर्तमान परिदृश्य
भयावह है बर्तमान परिदृश्य
भयावह है बर्तमान परिदृश्य, नदियां बहुत प़दूषित हैं
कौन लड़ेगा प़दूषण से, समाज ही सारा दूषित है
जिन नदियों के स्वच्छ किनारे,मानव सभ्यता पनपी थी
उन नदियों की पावन धारा,मानव ने जहरीली की
सूख गए जल जंगल जमीन, हमने सबकी वेअदवी की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी