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19 Nov 2021 · 1 min read

भगवान जगन्नाथ की आरती (०२)

संत नानक देव जी यात्रा पर जब भगवान जगन्नाथ मंदिर पुरी पहुंचे,तब आरती के समय उनके मन में जो भाव आए,उनका हिंदी रूपांतरण,भाव गुरुवाणी में शामिल हैं।

हे ओंकार, हे निरंकार, हे जगन्नाथ
तुमको ध्याऊं
सुमिरन करूं मैं आरती वंदन
सदा तेरे गुण गाऊं
आरती जगन्नाथ की गाऊं
संग सृष्टि के ध्यान लगाऊं
आकाश को आरती थाल बनाऊं
सूरज चंदा दीप जलाऊं
नाना रत्न अलंकृत सितारे
सजे हुए हैं थाल में सारे
मलयागिरी पर्वत का चंदन
धूप सुगंधित पवन सजाऊं
खिले हुए हैं सुमन धरा पर
श्री चरणों में तुम्हें चढ़ाऊं
नाना है फल फूल रसीले
सप्त अन्न का भोग लगाऊं
सप्तसागर पवित्र सरिता जल
नीरांजन कर तुम्हें ध्याऊं
एक नूर ते सब जग प्रकटया
तुमको शीश नवाऊं
हे ओंकार, हे निरंकार, हे जगन्नाथ
तुमको ध्याऊं
सुमरन करूं मैं आरती वंदन
सदा तेरे गुण गाऊं

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 4 Comments · 468 Views
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