Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Nov 2020 · 1 min read

भगवान जगन्नाथ की आरती (०२)

(गुरु नानक देव जी अपनी उदासियों (धार्मिकयात्राएं) के दौरान भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करने जगन्नाथ पुरी आए थे। जब वह दर्शन करने पहुंचे उसी समय भगवान जगन्नाथ जी की आरती उतारी जा रही थी,उसी समय गुरु नानक देव जी को परमात्मा की दिव्य आरती वंदन के भाव आए थे,जो सुंदर शब्दों में प्रकट हुए थे,जो उस समय चैतन्य महाप्रभु के साथ मंदिर में गाए।वह दिव्य भाव एवं शब्द गुरुवाणी में शामिल है। उनका भाव यह था कि सारी सृष्टि भगवान की आरती उतार रही है, आसमान आरती का थाल है, सूरज चंदा दीप हैं,मलयागिर पर्बत से जो पवन आ रही है बस धूप बत्ती है, धरती पर जो सुमन खिले हैं बह भगवान को अर्पित हो रहे हैं, सभी जीवों में ज्योति भगवान की जल रही है। उनके भाव को मैंने हिंदी में अपने शब्दों में कहा है।)

हे ओंकार, हे निरंकार, हे जगन्नाथ
तुमको ध्याऊं
सुमिरन करूं मैं आरती वंदन
सदा तेरे गुण गाऊं
आरती जगन्नाथ की गाऊं
संग सृष्टि के ध्यान लगाऊं
आकाश को आरती थाल बनाऊं
सूरज चंदा दीप जलाऊं
नाना रत्न अलंकृत सितारे
सजे हुए हैं थाल में सारे
मलयागिरी पर्वत का चंदन
धूप सुगंधित पवन सजाऊं
खिले हुए हैं सुमन धरा पर
श्री चरणों में तुम्हें चढ़ाऊं
नाना है फल फूल रसीले
सप्त अन्न का भोग लगाऊं
सप्तसागर पवित्र सरिता जल
नीरांजन कर तुम्हें ध्याऊं
एक नूर ते सब जग प्रकटया
तुमको शीश नवाऊं
हे ओंकार, हे निरंकार, हे जगन्नाथ
तुमको ध्याऊं
सुमरन करूं मैं आरती वंदन
सदा तेरे गुण गाऊं

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 3 Comments · 441 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
സങ്കടപ്പുഴയിൽ.
സങ്കടപ്പുഴയിൽ.
Heera S
गैरों की भीड़ में, अपनों को तलाशते थे, ख्वाबों के आसमां में,
गैरों की भीड़ में, अपनों को तलाशते थे, ख्वाबों के आसमां में,
पूर्वार्थ
*अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)*
*अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
धरा और हरियाली
धरा और हरियाली
Buddha Prakash
3277.*पूर्णिका*
3277.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
..
..
*प्रणय*
عظمت رسول کی
عظمت رسول کی
अरशद रसूल बदायूंनी
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
अपना मन
अपना मन
Neeraj Agarwal
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
Phool gufran
All good
All good
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" आत्मविश्वास बनाम अति आत्मविश्वास "
Rati Raj
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
Rajesh
पुष्पों का पाषाण पर,
पुष्पों का पाषाण पर,
sushil sarna
माँ भारती की पुकार
माँ भारती की पुकार
लक्ष्मी सिंह
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
Shekhar Chandra Mitra
स्वयं के स्वभाव को स्वीकार और रूपांतरण कैसे करें। रविकेश झा।
स्वयं के स्वभाव को स्वीकार और रूपांतरण कैसे करें। रविकेश झा।
Ravikesh Jha
उड़ चल रे परिंदे....
उड़ चल रे परिंदे....
जगदीश लववंशी
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
Arvind trivedi
रात बसर कर ली रात रंगीन गुजरने की आस में,
रात बसर कर ली रात रंगीन गुजरने की आस में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इश्क
इश्क
SUNIL kumar
खुशी -उदासी
खुशी -उदासी
SATPAL CHAUHAN
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
"पानी"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
Ajit Kumar "Karn"
मैंने, निज मत का दान किया;
मैंने, निज मत का दान किया;
पंकज कुमार कर्ण
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अगर मुझे पढ़ सको तो पढना जरूर
अगर मुझे पढ़ सको तो पढना जरूर
शेखर सिंह
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
Bhupendra Rawat
मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
Sanjay ' शून्य'
Loading...