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7 Mar 2021 · 1 min read

बड़ी क़ातिलाना तुम्हारी अदा है

ग़ज़ल
काफ़िया-आ
रदीफ़-है।
122 122 122 122
बड़ी क़ातिलाना तुम्हारी अदा है।
जिसे देखकर दिल हुआ ये फिदा है।

रहूँ रात दिन अब ख़यालो में’ डूबा
कि दीवानगी का चढ़ा वो नशा है।

हुआ इश्क़ में इस क़दर आज रोगी
कि दीदार करना ही अब दवा है।

हसीनों कि गलियों में’ जब-जब गया मैं
मिले दिलजले ही मुझे हर दफ़ा हैं।

कि मजनूँ बने और राँझा बने हम
मगर हीर लैला यहाँ बेवफ़ा हैं।

अभिनव मिश्र अदम्य
हरिबल्लभपुर
(शाहजहाँपुर, उ.प्र.)

1 Like · 1 Comment · 482 Views
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