बड़ी ही याद आती है मुझे, बच्चन की मधुशाला
1222 +1222 +1222 +1222
पिलाये सोमरस, मदिराभवन में, आह! मधुबाला
बड़ी ही याद आती है मुझे, बच्चन की मधुशाला
करे वो नृत्य, मनमोहक, नये चलचित्र गीतों में
कि खुल ही जाये, पीने वाले की, अब अक्ल का ताला
हे देवी, प्रेम पथ पर ले चलो मुझको, है विचलित मन
पड़ा अनभिज्ञता का, भक्त के मन पे मकड़ जाला
मुझे पीटे यहाँ उद्दण्ड, कुछ रक्षक कि समझा दो
पड़ा अब तलक दुष्टों का, महाकवि से कहाँ पाला
हे देवी पीने दो अधरों से ही, अब व्यथित प्रेमी को
मिटेगी प्यास अन्तरमन की, कुछ तो मेरी मधुबाला