Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2019 · 3 min read

**” ब्रम्हाण्ड लोक की सैर “*

।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
*** ब्रम्हाण्ड लोक की सैर *** ???
ब्रम्हाण्ड में स्वर्गलोक ,ब्रम्हलोक ,भूलोक ,बैकुंठ लोक ,परमधाम लोक ,पाताल लोक, शिवपुरी लोक ,अन्य लोक मौजूद रहते हैं लेकिन जब हम मन में साक्षी भाव लिए सात्विक रूप धारण करते हैं तो शुद्ध आत्मा से ब्रह्याण्ड के सारे लोकों में प्रवेश करते हुए स्वर्गारोहण की यात्रा संभव हो सकती है।
पृथ्वी पर रहने वाले हरेक व्यक्ति ब्रह्याण्ड की यात्रा करने को इच्छुक रहता है यह परम सौभाग्य की बात है एक दूसरे को प्रत्यक्ष रूप से संदेश पहुंचाने में सहायक होती है और वहाँ से नई चेतना शक्ति जागृत कर आत्मिक शांति महसूस कर आश्चर्य जनक अनुभवों को उजागर करने से स्तब्ध रह जाते हैं …..! ! !
हमें कभी यह पता चले कि आसपास मौजूद रहने वाली शक्तियाँ अच्छी व बुरी आत्मायें है
अच्छी आत्माओं का संदेश हमें अच्छे कर्मों को करने के लिए प्रेरित करती है और बुरी आत्माओं की छाँव से बुराईयां पनपने लगती है इन वातावरणों से शरीर के अंदर होने वाले हाव भाव उसी तरह से प्रेरित होने लगते हैं।
अगर किसी अच्छी आत्मा फरिश्ते के रूप धारण कर आत्मसात कर ले तो जीवन में पुनः अच्छे कर्मों की प्रधानता में प्रशस्त हो जाती है।
कभी कभी खास परिस्थितियों में चंद घंटों के लिए ही सही …फरिश्तों से मुलाकात हो तो अदभुत चमत्कार से कम नही होता है।
ऐसा ही वाकया पूर्वी भारत में रहने वाले रघुबीर जी के साथ घटित हुआ है अचानक ही उनकी तबीयत खराब हो गई उस दिन जन्माअष्टमी का पर्व था तबीयत बिगड़ने से हॉस्पिटल में ईलाज के लिए ले जाया गया उसी दौरान वे किसी कारणवश कोमा की स्थिति में चले गए सभी घर के सदस्य घबराकर सारे लोगों को सूचना पहुंचा दी गई सभी मिलकर देखकर वापस लौट गए।
रघुबीर चाचा जी अचेतन अवस्था में ही मन ही मन में रामायण की चौपाइयों को दोहराते हुए भागवत पुराण की कथाओं को जहन में लाते हुए शून्य विहीन लेटे ही रहे ।
कर्मबंधन से मुक्तिमार्ग की ओर यात्रा पर चेष्टा करने लगे थे उसी समय ब्रम्हाण्ड लोक से एक विमान आया जिस पर सवार होकर अंनत कोटि ब्रह्याण्ड की सैर को चल पड़े ।
चलते हुए मार्ग में उन्हें ऋषि की कन्यायें ब्रम्ह पुत्रियाँ – सृष्टि, दृष्टि , भृष्टि और इति ,मिति दो कन्याएँ सहयोगी पथ प्रदर्शक बनकर सामने आई और कहने लगी कि आपको कहाँ जाना है उन्होंने कहा – गौतम ऋषि का आश्रम कहाँ पर है मैं देखना चाहता हूँ …… ! ! !
इस पर इति ने बतलाया कि हम आपको वहाँ तक नहीं ले जा सकते हैं लेकिन दूर से ही आपको वह स्थान दिखला सकते हैं जहाँ पर गौतम ऋषि निवास करते हैं ।
विमान को बृहस्पति ग्रह के पास ले जाकर पहाड़ों की कन्दराओं में इशारा करते हुए बतलाई कि पृथ्वी के ऋषि मुनियों की आत्मा प्राण त्यागने के उपरान्त इन्हीं कंदराओं में निवास कर रही है।
आगे बढ़ने पर ब्रह्याण्ड लोक की सैर चल ही रही थी तभी कुछ कानों में बड़ी बेटी की आवाज सुनाई दी …! ! !
पापा कैसे हो ….इस आवाज से रघुबीर चाचा जी की चेतना पुनः जागृत अवस्था में वापस लौट आई ।
रघुबीर चाचा जी ने अपनी बेटी से कहा – तुमने मेरी ब्रह्याण्ड की सैर को आवाज लगाकर चौपट कर दिया ।कुछ चंद घंटों की स्वप्न लोक में अंनत कोटि ब्रह्याण्ड की सैर करने से पुनः नई चेतना शरीर में जागृत हो आनंद व उत्साह से पुनः प्रवेश कर गई थी ।
ऐसा भी कहा गया है कि – कृष्ण जन्माअष्टमी तिथि के दिन मौत निश्चित तौर पर नही होती है कृष्ण जी के जन्म के समय सभी पहरेदार बेहोशी की अवस्था चले गये थे क्योंकि कंस का मारनहार पैदा हो गया था और उस दिन किसी की मौत निश्चित तौर पर नही होती है।
*दरअसल कृष्ण जी का यही वरदान साबित सिद्ध हुआ है *
स्वरचित मौलिक रचना ??
।।राधैय राधैय जय श्री कृष्णा ।।
*** शशिकला व्यास ***
# भोपाल मध्यप्रदेश #

Language: Hindi
781 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
Shweta Soni
चार लोग क्या कहेंगे?
चार लोग क्या कहेंगे?
करन ''केसरा''
दूर नज़र से होकर भी जो, रहता दिल के पास।
दूर नज़र से होकर भी जो, रहता दिल के पास।
डॉ.सीमा अग्रवाल
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
ज़िन्दगी तुझ पर लिखे हैं गीत हमने
ज़िन्दगी तुझ पर लिखे हैं गीत हमने
Dr Archana Gupta
आपसा हम जो
आपसा हम जो
Dr fauzia Naseem shad
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।
Manisha Manjari
*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
Ravi Prakash
खोज सत्य की
खोज सत्य की
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रास्ते पर कांटे बिछे हो चाहे, अपनी मंजिल का पता हम जानते है।
रास्ते पर कांटे बिछे हो चाहे, अपनी मंजिल का पता हम जानते है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
शीर्षक -तुम ही खेवनहार
शीर्षक -तुम ही खेवनहार
Sushma Singh
फितरत
फितरत
संजीवनी गुप्ता
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ . . . !
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जन्म जला सा हूँ शायद...!
जन्म जला सा हूँ शायद...!
पंकज परिंदा
बह्र- 1222 1222 1222 1222 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन काफ़िया - सारा रदीफ़ - है
बह्र- 1222 1222 1222 1222 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन काफ़िया - सारा रदीफ़ - है
Neelam Sharma
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
Dad's Tales of Yore
Dad's Tales of Yore
Natasha Stephen
जो झूठ है वहीं सच मानना है...
जो झूठ है वहीं सच मानना है...
P S Dhami
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
The_dk_poetry
वीर साहिबजादे
वीर साहिबजादे
मनोज कर्ण
उधार का ज्ञान - रविकेश झा
उधार का ज्ञान - रविकेश झा
Ravikesh Jha
सच तो रंग होते हैं।
सच तो रंग होते हैं।
Neeraj Agarwal
आईना
आईना
पूर्वार्थ
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
किया आप Tea लवर हो?
किया आप Tea लवर हो?
Urmil Suman(श्री)
बुरा वक्त
बुरा वक्त
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
गांव और वसंत
गांव और वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...