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14 Aug 2023 · 1 min read

कुंडलिया छंद

बिखरा बिखरा दिख रहा,जाने क्यों सम्मान ।
ऐसा लगता खो गई, कोई झूठी शान ।।

कोई झूठी शान, नहीं ज्यादा दिन टिकती।
आज सरे बाजार, देखिए इज्ज़त लुटती।

कसते रहते लोग,देखकर सबको फिकरा।
लगता रोई आँख, तभी तो काजल बिखरा।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय

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