ब्रज की रज
सवैया
(ब्रज की रज)
ब्रज के वन बाग तड़ाग हैं धन्य
जहाँ जन्मे श्रीकृष्ण कन्हाई
धन्य धरा वह धन्य कदंब
जहाँ मुरली घनश्याम बजाई
जो जन्मे ब्रज में हुए धन्य
हम धन्य हुए उनसे ज्यादा भाई
हमने ब्रज में नहिं जन्म लियो
हमने ब्रज की रज माथे लगाई।