” बोलो मेरे यार बुझे क्यूँ रहते हो “
? सुप्रभात मित्रों ?
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बोलो मेरे यार बुझे क्यों रहते हो ।
लाख छुपाओ आँखों से सब कहते हो ।
फूलों के दिल को तुम भी तो भा जाते ।
बनकर के क्यों खार ये नफरत सहते हो ।
माना वो दिल तेरा फिर से तोड़ गया ।
बार बार क्यूँ बांह उसी की गहते हो ।
तुझको फूटी आँख नहीं देखा जिसने ।
उसके आंसू बन करके क्यों बहते हो ।
जब भी तुमसे आस कभी मैंने बांधी ।
आग लगे पुतले के जैसे ढहते हो ।
मोड़ रहा हूँ लहरों को मैं कबसे ही ।
बन करके पतवार जो आओ चहते हो ।
शोला से शबनम बन जाओ मानो भी ।
दहक दहक कर क्यूँ सारा दिन दहते हो ।
सीने में यदि जगह जरा सी मिल जाती ।
सब कहते तुम ताजमहल में रहते हो ।
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? वीर पटेल .?