बोगनविलिया
बोगनविलिया
मेरे घर
और सङक के बीच
कच्ची पगडंडी पर
अनगढ़ से
बेतरतीब उगे बोगनविलिया
बेहिसाब लुटाते
रंगो की रंगोली
न मोल भाव
बस ऐसा ही साथ तुम्हारा
चाहतों का खजाना
और मीलों दूर
नहीं आती जहाँ से
आहट भी तुम्हारी
सपनो का सफर
बस वही से शुरू होता है
बस वही से…