बैरन कित चाल गई हरियाणवी
****** हरियाणवी गीत *******
****बैरन कित चाल गई *******
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ओ बैरन कित चाल गई,घैल कर के
सूली पै रै जान टांग गई,घैल कर के
1
दर दर के रै, मैं धक्कै ध्याड़े खाऊँ
दिल की बात,रै किसै नै ना बताऊँ
खूंटे पै थ्योड़ गाड़ गई, घैल कर के
ओ बैरन कित चाल गई,घैल कर के
2
बिन पाणी कै,जनूं मछली रै तड़फे
तेरे बिन ना,गजबन जियरा धड़के
पाणी में आग लगा गई,घैल कर के
ओ बैरन कित चाल गई,घैल कर के
3
बिन वर्षा के,जनू्ं चातक मरदा जावे
यादों का झौंका,मन में आग लगावे
उम्र भर का रोग दे गई, घैल कर के
ओ बैरन कित चाल गई, घैल कर के
4
विरह वेदना में, रूह सै सड़दी जावे
सुखविंद्र की सै जां लिकड़दी जावे
चा सारे गला घोंट गई, घैल कर के
ओ बैरन कित चाल गई, घैल कर के
ओ बैरन कित चाल गई, घैल कर के
सूली पै रै जान टांग गई, घैल कर के
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)