#रुबाइयाँ
नदियाँ सागर प्यार सिखाएँ , अभिनव व्यवहार सिखाएँ।
दूर नहीं हैं इक दूजे से , अलग लगें पर मिल पाएँ।।
नदियाँ जल से सागर बनता , सागर जल बनता बादल;
बादल जल से नदियाँ बनती , नदियाँ सागर हो जाएँ।।
सूरज किरणें प्यार सिखाएँ , अभिनव संस्कार सिखाएँ।
एक धरा पर एक गगन में , निज दोनों फ़र्ज़ निभाएँ।।
दूर हुये दिन में तो क्या है , रात हुये फिर मिल जाएँ।
दिल से दिल की दूरी कैसी , ये राहें हम अपनाएँ।।
#आर.एस.’प्रीतम’