बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
तो आंखों से मेरी अश्क निकलते चले गए।
मां की दुआओं में असर है कुछ ऐसा कि।
डगमगाते क़दम मेरे संभलते चले गए।।
Phool gufran
बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
तो आंखों से मेरी अश्क निकलते चले गए।
मां की दुआओं में असर है कुछ ऐसा कि।
डगमगाते क़दम मेरे संभलते चले गए।।
Phool gufran