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14 May 2023 · 1 min read

बैठक

बैठक तो वो जो घर की बैठक में होती है।
पारिवारिक परिचर्चा को सरल सजोती है।।
मीटिंग में तो घोड़ों की बस रेस कराई जाती है।
टारगेट के बहाने मानव में भेद बढ़ाई जाती है।।
सभा तो वो जहां सभ्यलोग सामूहिक चिंतन करते है।
सब के हित की हो बात कोई उसपर परिचर्चा करते है।।
रैली आई है नई विधा, नेता जनता से बाते करते है।
सब सामूहिक स्थानों पर, बस नेता भाषण करते है।।
ट्राली बस कार वा ट्रेनों से, मानव पशु लाए जाते है।
खाना पानी पैसा देकर, एक जगह बिठाए जाते है।।
एक मंच बनाया जाता है, क्या खूब सजाया जाता है।
फिर दरबारी उन चमचों से, गुणगान कराया जाता है।।
जितने बिलंब से आते है, वे बड़का नेता कहलाते है।
वादों दाओ से सना हुआ, भाषण देकर बहलाते है।।
पशु भूख प्यास से तड़प रहे, भाषण देकर वो चले गए।
उसको ही रैली कहते है, जिसमें मानव पशु छले गए।।

Language: Hindi
159 Views
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