Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2022 · 1 min read

बैचेनी…

बेताबी मुझको सताती,
परेशानी के कारण मैं व्याकुल हो जाती !
अजीब सा एक तूफा उठा मनमें
दिलने कहां… रे किश्मत तेरी फूटी,
तू कहां हैं नसीबो वाली..!..!
मै बहुत दुःखी हो जाती
क्या…मुझसे हुए हैं खता कोई !..!
जिस की मिली हैं सजा
सोच-सोचकर परेशान हो जाती !!
निराशा के घेरे अंधेरो में
खुद को भी नहीं ढूँढ पाती….!!!!

Language: Hindi
183 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
धुंधली यादो के वो सारे दर्द को
धुंधली यादो के वो सारे दर्द को
'अशांत' शेखर
मुझे लगता था —
मुझे लगता था —
SURYA PRAKASH SHARMA
भेड़चाल
भेड़चाल
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी
जिंदगी
Madhavi Srivastava
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
नव वर्ष मंगलमय हो
नव वर्ष मंगलमय हो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चंदा मामा (बाल कविता)
चंदा मामा (बाल कविता)
Dr. Kishan Karigar
स्त्री एक देवी है, शक्ति का प्रतीक,
स्त्री एक देवी है, शक्ति का प्रतीक,
कार्तिक नितिन शर्मा
गुजर जाती है उम्र, उम्र रिश्ते बनाने में
गुजर जाती है उम्र, उम्र रिश्ते बनाने में
Ram Krishan Rastogi
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मनुष्य जीवन है अवसर,
मनुष्य जीवन है अवसर,
Ashwini Jha
*अपना भारत*
*अपना भारत*
मनोज कर्ण
उस रिश्ते की उम्र लंबी होती है,
उस रिश्ते की उम्र लंबी होती है,
शेखर सिंह
"I'm someone who wouldn't mind spending all day alone.
पूर्वार्थ
पुराना साल जाथे नया साल आथे ll
पुराना साल जाथे नया साल आथे ll
Ranjeet kumar patre
"लक्ष्य"
Dr. Kishan tandon kranti
■ आज की बात
■ आज की बात
*प्रणय प्रभात*
किसी की हिफाजत में,
किसी की हिफाजत में,
Dr. Man Mohan Krishna
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
कवि रमेशराज
मतदान
मतदान
Dr Archana Gupta
मेरी  हर इक शाम उम्मीदों में गुजर जाती है।। की आएंगे किस रोज
मेरी हर इक शाम उम्मीदों में गुजर जाती है।। की आएंगे किस रोज
★ IPS KAMAL THAKUR ★
नजर  नहीं  आता  रास्ता
नजर नहीं आता रास्ता
Nanki Patre
धरा
धरा
Kavita Chouhan
इतना आसान होता
इतना आसान होता
हिमांशु Kulshrestha
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
अजहर अली (An Explorer of Life)
।।बचपन के दिन ।।
।।बचपन के दिन ।।
Shashi kala vyas
" फ़साने हमारे "
Aarti sirsat
जिन्दगी
जिन्दगी
Bodhisatva kastooriya
Loading...