बैचेनी…
बेताबी मुझको सताती,
परेशानी के कारण मैं व्याकुल हो जाती !
अजीब सा एक तूफा उठा मनमें
दिलने कहां… रे किश्मत तेरी फूटी,
तू कहां हैं नसीबो वाली..!..!
मै बहुत दुःखी हो जाती
क्या…मुझसे हुए हैं खता कोई !..!
जिस की मिली हैं सजा
सोच-सोचकर परेशान हो जाती !!
निराशा के घेरे अंधेरो में
खुद को भी नहीं ढूँढ पाती….!!!!