“बेहतर है चुप रहें”
“बेहतर है चुप रहें”
कोई नहीं दिखते जो सुने
किसी की परेशानी को
बिरले ही समझ पाते हैं
इंसानी आँखों के पानी को
बाहर उजला भीतर मैला
दर्द अपना किससे कहें,
मौसम ठीक नहीं है
बेहतर है चुप रहें।
“बेहतर है चुप रहें”
कोई नहीं दिखते जो सुने
किसी की परेशानी को
बिरले ही समझ पाते हैं
इंसानी आँखों के पानी को
बाहर उजला भीतर मैला
दर्द अपना किससे कहें,
मौसम ठीक नहीं है
बेहतर है चुप रहें।