बेशर्मी
जनता घुटना टेक हो गई, नेता बिरादरी फेक हो गई।
देश वेश का बात न करियो, प्लोटिक्स मैंगो सेक हो गई।।
समलैंगीगता सकर्म हो गया, गाय को खाना धर्म हो गया।
जबसे डाकू चोर बने है मंत्री, शर्मा भी बेशर्म हो गया।।
जबसे मौसी बनी है बीबी, हर घर में आई डिश और टीवी।
रिश्ता की तिरवेनी बनकर, रिश्तों का पाठ पढ़ाएं टीवी।।
चिट्ठी पत्री चैट हो गई, गोनरी घर की मैट हो गई।
कॉल करो सब सुख दुख जानो, अब तो मुश्किल भेंट हो गई।।
जय हिंद