” बेशक़ीमती सम्मान “
भाभी प्रणाम !
क्या लता तुम भी पुराने ज़माने कि तरह प्रणाम करती हो….हाय/हैलो किया करो ।
अरे भाभी ! ये सब करने के लिये बच्चे हैं ना , हम जैसे गिनती के लोग बचे हैं जो इतने मान/सम्मान से आदर दे रहे हैं ।
” आप मना मत किजिये ” बेशक़ीमती सम्मान ” हैं…प्रेम से ले लिजिये । ”
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 13/08/2021 )