*बेवफ़ा से इश्क़*
है मुझे अब भी मोहब्बत
जाने क्यों उस बेवफ़ा से
मोहब्बत की उम्मीद है
आज भी मुझे, उस बेवफ़ा से
है इतना सा क़सूर मेरा
जो हो गई मोहब्बत मुझे उस बेवफ़ा से
क्या कमी रह गई मेरे प्यार में
पूछे तो कोई जाकर उस बेवफ़ा से
रात दिन, सुबह शाम, कुछ नहीं देखा
मैं वफ़ा निभाता रह गया उस बेवफ़ा से
नहीं जानता था क्या है उसके दिल में
मैं इश्क़ लड़ाता रह गया उस बेवफ़ा से
आज उसने दिखा दिया अपना असली चेहरा
जाने फिर भी क्यों कोई गिला नहीं है उस बेवफ़ा से
क्या प्यार उसको भी था कभी मुझसे
है सवाल मेरा आज भी यही उस बेवफ़ा से
रातें गुज़ारता हूँ रो रोकर उसकी याद में
क्या फ़ायदा कहकर उस बेवफ़ा से
मेरे ज़ख्मों को नासूर कर दिया है उसने
और क्या उम्मीद कर सकता हूँ उस बेवफ़ा से
है नहीं हम और ये इश्क़ उसके लायक
कहना चाहता हूं मैं ये बात उस बेवफ़ा से
है सलाह मेरी बचना चाहते हो उससे तो
तुम भी दूर ही रहना, उस बेवफ़ा से
है बस एक ही दुआ मेरी, अब मेरे रब से
न हो कभी किसी को इश्क़ उस बेवफ़ा से
डरता हूं, की फिर से उसने बेवफ़ाई किसी से
ख़ुदा भी ख़फ़ा न हो जाए कहीं उस बेवफ़ा से।