बेवजह कदमों को चलाए है।
हमें मिलता नही सुकूँन हम कहां जाए,
बेवजह कदमों को चलाए है।।1।।
ऐ जिन्दगी कुछ कर ख्याल हमारा भी,
वक्त के हम बड़े ही सताए है।।2।।
मेरी भी दुआओं में असर हो मौला मेरे,
कबसे इन हाथों को फैलाए है।।3।।
हम इक बस तेरी मोहब्बत की खातिर,
खुद को खाक में मिलाए है।।4।।
जानकर हम खुदसे बेवफाई कर रहे है,
झूठी तसल्ली से समझाए है।।5।।
ऐ चरागों सो जाओ कुछ वक्त के लिए,
उजाले लेकर जुगनू आए है।।6।।
मत जाना मेरे लबों के हंसने पर तुम,
तन्हाई में बड़े अश्क बहाए है।।7।।
कर अकीदा या ना कर मेरी चाहत पे,
तेरे इश्क में बड़े जख्म खाए है।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ