बेवक्त बैठा
क्यों तू आस में बैठा
किसके इंतजार में बैठा ।
तन्हाइयों से भरी थी तेरी जिंदगी
क्यों ऐसे बेवक्त तू बैठा ।।
क्या तू रूठ के है बैठा
किसके इंतजार में बैठा ।
मनाने अब ना आएगा वो तुझे
क्यों ऐसी आस में बैठा ।।
क्या तू हार के है बैठा
किसके इंतजार में बैठा ।
जितना मुकम्मल हो अगर जंग में
क्यों ऐसा मौन है बैठा ।।
क्या तू जीतकर बैठा
किसके इंतजार में बैठा ।
पल नहीं ठहरते एक पल कही
क्यों तू इतनी खुशी में बैठा ।।
क्या तू वक्त की खोज में बैठा
इसी के इंतजार में बैठा ।
यह नहीं ठहरता एक पल भी जिंदगी में
क्यों ऐसे बेवक्त तू बैठा।।