बेलगा सपने
#विधा- तंत्री छंद
??????
मेरे बेलगाम सपने
~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~
बेलगाम है, सपने मेरे,
कस लगाम, अब मिलना क्या है।
बेलगाम ही , चलते जाना,
जीवन मे, अब रुकना क्या है।।
सच को जानो, खुद को मानो,
बिन सपने, यह जीवन क्या है।
सपने अपने, बेलगाम रख,
सपने हों , फिर रुकना क्या है।।
स्वप्न सुनहरे, खुली आँख के,
पूरे कर, अब सोना क्या है।
नहीं सोच कुछ,, कठिन नहीं कुछ,
सपने हैं, तो रोना क्या है।।
******
✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार