बेरोजगार हूँ साहिब, एक अदद रोजगार चाहता हूँ।
मेरा नहीं, देश के युवाओं का कहना है/
युवा देश का युवा हूँ, बेज़ार और बेकार हूँ,
अपने हाथों के लिए कोई काम चाहता हूँ ,
बेरोजगार हूँ साहिब अपने लिए,
एक अदद रोजगार चाहता हूँ।
डिग्रियों को लिए हाँथ, मारा मारा फिरता हूँ,
जेब में अठन्नी नहीं,डिग्रियों को धरता हूँ,
इस मुफलिसी से किनारा चाहता हूँ,
बेरोजगार युवा हूँ, रोजगार चाहता हूँ।
सत्ता और शासन का लोभ नहीं मैं रखता हूँ,
माँ बाप के आँखों के,बस सूनेपन से डरता हूँ,
अब पड़ोसियों के तानों से निजात चाहता हूँ,
बेरोजगारी के श्राप से निस्तार चाहता हूँ।
ख़्वाब आखों को दिखा, धर्म के नाम पर,
हमारी काबिलियत को लोग अब भुनाने लगे है।
मौक़ापरस्त लोगों से अपनी नस्ल बचाना चाहता हूँ,
काबिलियत अपनी दिखाने का गुंजाइश चाहता हूँ।
थक गया हूँ अब, नौकरशाही और लालफीताशाही से
और कुछ नहीं अब बस इतिहास बदलना चाहता हूँ,
एक नई सोच और विचार वाली सरकार लाना चाहता हूँ ,
बेरोजगार हूँ साहिब, एक अदद रोजगार चाहता हूँ।
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25 /11 /2018
[ मुग्द्धा सिद्धार्थ ]